मुस्लिम वोटों के लिए उबाठा ने हिंदुत्व से गद्दारी की
ब्यूरो रिपोर्ट|समय नेशनल

मुस्लिम वोटों के लिए बालासाहेब ठाकरे के विचारों और हिंदुत्व से गद्दारी करने वाले उबाठा की हिंदू समाज में विश्वसनीयता खत्म हो गई है। इन शब्दों में शिवसेना उपनेता व प्रवक्ता संजय निरुपम ने आज जोरदार हमला बोला. उबाठा की दोगली भूमिका की वजह से हिंदुओं में भारी आक्रोश की लहर है। वक्फ संसोधन विधेयक का विरोध करने वाले उबाठा को बालासाहेब का नाम लेने का अधिकार नहीं है। ऐसा बयान देते हुए निरुपम ने दो टूक शब्दों में खरी खरी सुनाई है। मुंबई में आयोजित पत्रकार परिषद को वे संबोधित कर रहे थे।
निरुपम ने कहा उबाठा नेताओं का दावा है कि वक्फ बोर्ड संसोधन विधेयक किसी जाति धर्म से संबंधित नहीं होने और अचल संपत्ति से संबंधित है। वक्फ बोर्ड के कब्जे में करीब 2 लाख करोड़ की संपत्ति है। इसका जवाब देते हुए निरुपम ने कहा कि उबाठा वालों को प्रॉपर्टी में पहले ही अत्याधिक रूचि होने की बात साफ दिखाई दे रही है। लिहाजा वक्फ बोर्ड की जमीन पर भी उबाठा गुट का ध्यान था क्या? यह सवाल निरुपम ने पूछा है।
मुस्लिम संगठनों ने चुनाव के दौरान उबाठा को फंडिंग की थी। जिसकी वजह से अब लगातार वे वक्फ बोर्ड विधेयक के बारे में यह विधेयक धर्म से संबंधित न होकर संपत्ति से संबंधित होने की बात बारबार कह रहे हैं। वक्फ बोर्ड के खिलाफ न्यायालय में नहीं जाने की भूमिका उबाठा नेतृत्व ने स्पष्ट की है। लिहाजा उबाठा गुट मुस्लिम वोटों के लिए इस प्रकार की लीपापोती कर रही है। इस प्रकार की टिप्पणी निरुपम ने की है। उन्होंने आगे कहा कि वक्फ बोर्ड के पास जो जमीन है वह भारत की भूमि है। इस जमीन का यदि कोई दुरुपयोग कर रहा है, उसमें घोटाला हुआ होगा तो सरकार को उसके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार होना चाहिए।
खुलताबाद का पहले नाम रत्नपूर था। इस बारे में शिवसेना मंत्री संजय निरुपम ने मुद्दा उपस्थित किया है। इसका अब उबाठा गुट के नेता भी श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं। परंतु महाविकास आघाडी सरकार में 22 महीने मुख्यमंत्री होने के बावजूद उद्धव ठाकरे ने खुलताबाद का नामांतरण क्यों नहीं किया? यह सवाल निरुपम ने पूछा है। वोटों के लिए मुस्लिमों की चमचागिरी करने का काम उबाठा ने किया है। जिसकी बड़ी कीमत उन्हें आगामी चुनाव में चुकानी होगी, इस प्रकार का दावा निरुपम ने किया है।