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गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में विभिन्न श्रेणियों में मैनपावर सप्लाई करने के लिए नए फर्म का चयन किया गया है।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने आदेश जारी कर फर्म को एक नवंबर से कार्य करने के लिए निर्देशित किया है।
यह फर्म पूर्व में भी विश्वविद्यालय में काम कर चुकी है।
इसपर आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के ईपीएफ का करोड़ों रुपये गबन के मामले में उसे कार्य परिषद से ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया था।
विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से दागी फर्म के चयन पर कर्मचारी हतप्रभ हैं।
गोरखपुर विश्वविद्यालय की ओर से आउटसोर्सिंग से मैनपावर के लिए 15 मार्च 2024 को जेम पोर्टल पर निविदा आमंत्रित किए गए थे।
इसमें चार कंपनियों ने आवेदन किया।
इसमें श्रीसाईनाथ एसोसिएट्स पर ब्लैकलिस्ट एवं एफआईआर होने पर उसे बाहर कर दिया गया।
इसके बाद शेष बचे तीन फर्म में से बांबे इंटीग्रेटेड सिक्योरिटी (इंडिया) लिमिटेड का चयन किया गया।
इसका आदेश कुलसचिव की ओर से मंगलवार को जारी कर दिया गया।
इस आदेश में फर्म को एक नवंबर से एक वर्ष के लिए आदेश जारी किया है।
इस फर्म को आउटसोर्सिंग पर मैनपावर उपलब्ध कराने के साथ विश्वविद्यालय के आउटसोर्सिंग के माध्यम से कार्य कर रहे सभी कर्मचारियों का वेतन एवं ईपीएफ/ईसीआईसी का अग्रिम भुगतान करना होगा।
फर्म के चयन पर कर्मचारियों में हड़कंप : विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के चयन को लेकर जिस फर्म का चयन किया गया है।
वह पूर्व में भी विवि में काम कर चुकी है।
वर्ष 2021-22 में उसपर आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का ईपीएफ जमा न कर करोड़ों रुपये गबन का मामला प्रकाश में आया था।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच में करीब 10 करोड़ ईपीएफ घोटाला का मामला सामने आया था।
चार नवंबर 2022 को वित्त समिति की बैठक में फर्म के गबन की रिपोर्ट को वर्तमान कुलपति को सौंपा था।
मुख्यमंत्री से भी हुई है शिकायत
गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा दागी फर्म चयन की शिकायत मुख्यमंत्री से भी की गई है।
शिकायतकर्ता वैभव सिंह ने मुख्यमंत्री के साथ प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को भेजे पत्र में बताया है कि विश्वविद्यालय में यह चयनित फर्म वर्ष 2022 से पूर्व 15-16 वर्ष तक कार्य कर चुकी है।
एजेंसी के वित्तीय पक्ष की जांच में आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का ईपीएफ/ईसीआईसी जमा न कर गबन का आरोप सिद्ध पाया गया था।
इस फर्म को फर्जी बिल लगाने पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से ब्लैक लिस्ट किया गया है।
शिकायतकर्ता ने कोर्ट के निर्णय की कॉपी को भी संलग्न किया है। ऐसे में इस फर्म के चयन की जांच कराने की मांग की है।
विश्वविद्यालय में आउटसोर्सिंग पर कर्मचारियों को रखने व उनके वेतन भुगतान को लेकर फर्म का चयन किया गया है।
यह चयन उनके कुलसचिव का पदभार ग्रहण करने से पहले का है।
चयन के बाद वर्कआर्डर जारी किया गया है।फर्म के ब्लैकलिस्टेड होने की जानकारी नहीं है।”